डायबिटीज और दांतों की बीमारी
डॉक्टर अनूप मिश्रा
प्रश्न: डायबिटीज के एक नियंत्रित ब्लड शुगर वाले मरीज में दांतों से संबंधित सर्जरी कराने में क्या जोखिम है?
उत्तर: यदि ब्लड शुगर पूरी तरह नियंत्रण में रहे तब भी डायबिटीज के मरीज में संक्रमण का खतरा बना रहता है। दूसरी बात, ऐसे मरीजों में खून के गाढ़ा होने की घटी हुई क्षमता के कारण रक्तस्राव का जोखिम भी ज्यादा रहता है। ऐसे अधिकांश मरीज एस्प्रीन और प्लेटलेट रोधी इलाज भी ले रहे होते हैं और सर्जरी की प्रक्रिया से कम से कम 7 दिन पहले इन दवाओं को बंद करना होता है। हालांकि इन दवाओं को बंद करने से पहले डायबिटीज विशेषज्ञ एवं हृदय रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए।
प्रश्न: एक सामान्य दांत निकालने की प्रक्रिया के लिए ब्लड शुगर का रेंज कितना तक होना चाहिए?
उत्तर: निम्नलिखित ब्लड शुगर रेंज दांतों को निकालने की प्रक्रिया करने के लिए बहुत हद तक सुरक्षित माना जाता है:
- खाली पेट का ब्लड शुगर 90-130 mg/dl
- खाने के दो घंटे के बाद का शुगर 120-180 mg/dl
- इसके अतिरिक्त बेहतर होगा कि ब्लड ग्लूकोज का तीन महीने का औसत बताने वाला टेस्ट HbA1C भी करवा लिया जाए और इसकी रेंज 6.5-7% सुरक्षित मानी जाती है।
प्रश्न: दांतों में इम्प्लांट जैसी प्रक्रिया करने के लिए ब्लड शुगर की रेंज कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: इस स्थिति में ब्लड ग्लूकोज पर बहुत सख्त नियंत्रण आवश्यक है। बेहतर है कि खाली पेट का ब्लड शुगर 110 mg/dl और भोजन के बाद का 140 mg/dl के आस पास रहे। ये ब्लड ग्लूकोज का स्तर सर्जरी की प्रक्रिया से 10 से 14 दिन पहले से मैनेज होना चाहिए।
प्रश्न: क्या ये सच है कि दांतों का संक्रमण अथवा कोई भी संक्रमण ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य स्तर तक नहीं आने देता और इसके कारण आगे चलकर एक ‘बुरा चक्र’ शुरू हो जाता है?
उत्तर: दांतों का संक्रमण शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाले इंसुलिन का उत्पादन बाधित करने के साथ-साथ प्रतिरोधी नियामकीय हार्मोन्स (कॉर्टिसन, एपीनेफ्राइन या एड्रेनेलिन) का उत्पादन बढ़ा देता है जिसके कारण शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। एक बार जब ब्लड ग्लूकोज का स्तर 250 mg/dl को पार कर जाता है तो ये अग्न्याशयों के लिए टॉक्सिक होने लगता है (ग्लूकोज टॉक्सिसिटी, अध्याय 18 देखें) जो कि शरीर में इंसुलिन का उत्पादन और भी कम कर देता है और ब्लड ग्लूकोज को और बढ़ा देता है। इस स्थिति में संक्रमण और बढ़ने लगता है। इस प्रकार हाई ग्लूकोज-संक्रमण में वृद्धि-हायर ग्लूकोज का एक बुरा चक्र स्थापित हो जाता है।
प्रश्न: एक डायबिटीज रोगी को दांत निकलवाने के एक-दो दिनों तक पर्याप्त मात्रा में भोजन करने में परेशानी होती है। क्या उनकी दवाओं में किसी बदलाव की जरूरत होती है और हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए ऐसे मरीजों को कितनी अधिक कैलरी वाला भोजन करने की सलाह दी जाती है?
उत्तर: ऐसी स्थिति में ज्यादा जल्दी-जल्दी ब्लड शुगर जांच की जरूरत पड़ती है। एक दिन में कम से दो बार। एक सुबह खाली पेट और दो बार भोजन के बाद। भोजन के बाद वाले दोनों टेस्ट सुबह के नाश्ते, दिन के भोजन और रात्रि के भोजन में से किसी दो के बाद किए जा सकते हैं। डायबिटीज की दवाओं अथवा इंसुलिन के डोज में कोई भी बदलाव ब्लड शुगर के इन्हीं जांच नतीजों पर निर्भर है। मरीज को हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। जहां तक भोजन का सवाल है तो ये पूरी तरह मरीज के चबाने की क्षमता और दांत में किस तरह का इलाज हुआ है इस पर निर्भर करता है। डायबिटीज विशेषज्ञ और आहार विशेषज्ञ को ब्लड शुगर के स्तर के अनुसार इस दौरान का भोजन प्लान करना चाहिए। वैसे इस दौरान कम मात्रा में तरल आहार / अर्ध ठोस आहार थोड़ी-थोड़ी देर (3-4 घंटे) पर लेते रहने से पोषण भी बना रहता है और हाइपोग्लाइसीमिया को भी रोका जा सकता है।
(ये जानकारी डॉक्टर अनूप मिश्रा की किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार)
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